A blog for BIOLOGY students by : Susheel Dwivedi PGT Biology Kendriya Vidyalaya Secter J Aliganj Lucknow U P
Wednesday, May 19, 2010
मत्यु से पहले दिखती है ज्योति
आखिर मौत के मुंह में जाने से पहले क्या कोई चमकदार ‘ज्योति’ नजर आती है या फिर ऐसा लगता है कि हम दिव्यत्व में प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि ये सवाल ऐसे हैं जो सदियों से लोगों और वैज्ञानिकों को उलझाते रहे हैं। लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने इस तथ्य को ढूंढ निकाला है जिससे लोग मौत के मुंह में जाने से पहले चमकदार प्रकाश या शांति और दिव्यत्व जैसा महसूस करते हैं। उनका कहना है कि ‘मृत्यु के नजदीक अनुभव’ करने वालों के रक्त में कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर अधिक होता है। यह बात स्लोवेनिया में अनुसंधानकर्ताओं ने तीन बड़े अस्पतालों में दिल के दौरों के मरीजों पर गहन शोध के बाद कही है।
शोध के मुताबिक, कार्बन डाइऑक्साइड दिमाग के रसायनिक संतुलन को प्रभावित करती है जिस कारण रोशनी, सुरंग या फिर लाशें दिखायी देती हैं। इस अध्ययन में 52 मरीजों को शामिल किया गया था जिनकी औसत उम्र 53 साल थी। इनमें 42 पुरूष थे। ग्यारह मरीजों ने मौत के नजदीक अनुभव किया था लेकिन उम्र, लिंग, शिक्षा स्तर, धार्मिक विश्वास, मौत के डर और सही होने के समय या उन्हें बचाने के लिए दी जाने वाली दवाओं के संदर्भ में उनमें किसी तरह का कोई संबंध नहीं था। इसके बजाय सबमें जो सामान्य चीजें पाई गई थीं वह उनके रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड का उच्च स्तर और पोटेशियम की मात्रा कम होना थी।
यूनिवर्सिटी ऑफ मारीबोर के जलीका क्लेमेंक केटिस के नेतृत्व में किए गए इस शोध को लेकर उनका कहना था कि जिन मरीजों ने ऐसा महसूस किया उनके रक्त में काफी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड था। हालांकि उनका मानना है कि परिणामों की पुष्टि के लिए बड़ी संख्या में मरीजों पर अध्ययन किए जाने की जरूरत है। क्योंकि पूर्व के अध्ययनों में यह बात सामने नहीं आई थी। हालांकि पूर्व के अनुसंधानों के अनुसार दिल के दौरों से बचने वाले 11 से 23 प्रतिशत के बीच की संख्या में लोगों ने ‘मृत्यु के नजदीक अनुभव (एनडीईज)’ किया होता है। हालांकि इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं कि मृत्यु के कुछ समय तक दिमाग सक्रिय रहता है लेकिन उस दौरान शरीर में काफी कुछ होता रहता है जिस पर अध्ययन की जरूरत है। ‘मृत्यु के नजदीक अनुभव’ विषय पर अक्सर बहस होती रही है जिसमें लोग तरह-तरह की चीजें महसूस करते हैं।
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