Tuesday, December 4, 2012

गर्मियों में आंखों की समस्‍याएं

गर्मियां आते ही, त्‍वचा की समस्‍याओं के साथ ही आंखो की समस्‍याएं भी बढ़ जाती हैं। मौसम के बदलते मिज़ाज के कारण हमें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्‍हीं समस्‍याओं में से एक ही आंखों की समस्‍याएं। ऐसे में आंखों में खुजली-जलन जैसी समस्‍याएं होती हैं। गर्मियों में अकसर लू और धूल भ्री आंधी चलती है। ऐसे में घर से बाहर निकलने पर आंखों और त्‍वचा की समस्‍याएं होना आम है। आइये जानें इस समस्‍याओं से कैसे बचा जा सकता हैः


आंखों की समस्‍याओं से बचने के लिए कुछ बातों का ध्‍यान रखें-



धूपी चश्‍मे का प्रयोग करें।

हो सके आंधी आने पर या लू चलने के समय घर से बाहर ना निकलें।

तेज़ धूप में जाने से बचें।

दिन के समय या तेज़ धूप में सूरज की ओर ना देखें।


आंखों की समस्‍याएं होने परः



हो सकता है तेज़ धूप से घर में आने पर, आपकी आंखों में खुजली हो। ऐसे में आंखों को हाथ से बिलकुल ना छुएं।

ठंडे पानी से आंखों पर हल्‍के हाथ से छींटे मारें।

आंखों को आराम देने के लिए, आंखों पर खीरा या टमाटर भी रख सकते हैं।

हो सके, तो आंखों को कई बार धोएं।
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Susheel Dwivedi



Village-Pawai



Post -Jariya



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KENDRIYA VIDYALAYA DHOLCHERA



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'नेचर एंड नेचर जेनेटिक्स' पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुसार डीएनए की रूपरेखा के कारण धूम्रपान करने वालों और धूम्रपान छोड़ चुके लोगों में फेफड़े का कैंसर होने की संभावना ज़्यादा होती है.

वैज्ञानिकों के तीन अंतरराष्ट्रीय दलों का कहना है कि उन्होंने मनुष्यों के जीनोम में एक ऐसे क्षेत्र की खोज कर ली है जिसमें ऐसे जीन्स होते हैं जिससे धूम्रपान करने वालों में इस बीमारी के फैलने का ख़तरा ज़्यादा होता है.

शोध दल ने क्रोमोसोम-15 यानी गुणसूत्र में ऐसे दो जीनोम क्षेत्रों के बारे में बताया है.

हलांकि गुणसूत्र लोगों में आम है लेकिन फेफड़े के कैंसर का ख़तरा केवल उन्ही लोगों में होता है जो धूम्रपान करते हैं.

अलग-अलग हैं मत

इस बारे में शोधकर्ताओं के विचार अलग-अलग हैं कि जीन्स में हुआ परिवर्तन फेफड़े के कैंसर को कैसे प्रभावित करता है.


शोध के अधिकतम हिस्से को अंजाम देने वाली आइसलैंड की एक कंपनी ‘डिकोड जेनेटिक्स’ का कहना है कि शोध बताता है कि जिन लोगों में इस तरह के जीन्स होते हैं, वे एक बार धूम्रपान शुरु करने के बाद तंबाकू के ज़्यादा आदी हो जाते हैं.

हम जानते हैं कि धूम्रपान इस तरह के कैंसर को बढ़ाता है. फेफड़े के कैंसर के दस में से नौ मामलों में धूम्रपान ही ज़िम्मेदार होता है
शोध

हर शोध दल ने धूम्रपान कर रहे और छोड़ चुके हज़ारों लोगों के डीएनए का अध्ययन किया लेकिन सभी ने भिन्न नमूने के साथ काम किया चाहे सभी लोग यूरोप के ही थे.



हलांकि, उन सभी ने क्रोमोसोम-15 के दोनों बिंदुओं पर एक समान तरह के जीन परिवर्तन का ढ़ाचा देखा. इस परिवर्तन की तुलना उन लोगों से की गई जिन्हें फेफड़े का कैंसर था और जिनमें ऐसा नहीं है.

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Susheel Dwivedi
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