Tuesday, May 11, 2010

पक्षियों और डायनोसॉर के बीच रासायनिक रिश्ते

लंदन. जीवाश्म विज्ञानियों ने पक्षियों और डायनोसॉर के बीच रासायनिक रिश्ते को ढूंढ़ने का दावा किया है। यह उपलब्धि पक्षीनुमा डायनोसॉर ‘डायनोबर्ड’ के 15 करोड़ साल पुराने जीवाष्म के एक्स-रे विश्लेषण से मुमकिन हुई है।

यह जीवाष्म आधा डायनोसॉर और आधा पक्षी का है। इसे आर्कियोप्टेरिक्स नाम दिया गया है। खोजकर्ताओं का मानना है कि जीवाष्म विज्ञान में आर्कियोप्टेरिक्स का वही महत्व है, जो पुरातत्व विज्ञान में मिस्र के फराहो तूतनखामेन का है।

एक्स-रे व सीटी स्कैन में आर्कियोप्टेरिक्स के जीवाष्म के भीतर कुछ खास तरह के रसायन मिले हैं। इनसे आर्कियोप्टेरिक्स के शरीर में मौजूद एक दर्जन रसायन का तो पता चलता ही है, साथ में पक्षियों के शरीर में बाद के विकास क्रम का रोड मैप तैयार करने में भी मदद मिल सकती है।

यहां मिलीं कड़ियां
- आर्कियोप्टेरिक्स के पंखों में फॉस्फोरस और सल्फर मिला जो तकरीबन हर पक्षी में पाया जाता है।

- आर्कियोप्टेरिक्स की हड्डियों में तांबा और जस्ता पाया गया। यह भी मौजूदा पक्षियों में आम हैं।

जल्द आएगी शतायु वाली गोली

लंदन. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वे एक ऐसी ‘मैजिक पिल’ के विकास के करीब पहुंच गए हैं जिससे लोग न सिर्फ 100 साल तक जिंदा रहेंगे बल्कि फिट और हैल्दी भी होंगे। लंबी उम्र तथा अल्जाइमर,डायबीटिज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने वाले जीन की पहचान करने के बाद अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम इस चमत्कारी गोली को तैयार करने में लगी है। डेली एक्सप्रैस ने यह जानकारी दी।

प्रो.निर बारजिलाई ने लंदन की रॉयल सोसायटी में बताया कि यह ‘मैजिक पिल’ 18 महीनों में बाजार में बिक्री के लिए आ जाएगी। इसे 40 या 50 की उम्र के दौरान लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 100 की उम्र तक पहुंचने वाले लोगों के शरीर में ‘गुड कोलेस्ट्रोल एचडीएल’ का उच्च स्तर पाया जाता है और यही लंबी उम्र का मुख्य कारक है।

प्रो. निर ने अपने शोध में पाया कि 100 की उम्र पार करने वाले लोगों का ‘गुड कोलेस्ट्रोल एचडीएल’ के उच्च स्तर ने ही अल्जाइमर से बचाव किया।

उन्होंने कहा,यह दवा बाजार में आने के बाद लोगों की पैंशन और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जरूर बहस छिड़ेगी लेकिन चिकित्सीय परिपेक्ष्य से देखा जाए तो लोगों का हैल्दी होना बेहतर है।