Thursday, April 4, 2013

आस्थमा अटैक से कैसे बचें

अस्‍थमा या दमा ऐसी बीमारी है जो कि फेफड़ो को प्रभावित करती है। अस्‍थमा से बचने के लिए अस्‍थमा के कारणों को समझना बेहद आवश्‍यक है। अस्‍थमा ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ो तक सही मात्रा में आक्सीजन नहीं पंहुच पाता और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। आस्थमा अटैक कभी भी कहीं भी हो सकता है। आस्थमा अटैक तब होता है जब धूल के कण आक्सीजन ले जाने वाली नलियों को बंद कर देते हैं, ऐसा ठंड या एक्सरसाइज से भी हो सकता है। अस्‍थमा अटैक रात को भी हो सकता है।

आस्थमा से बचाव के लिए आप और आपके आसपास वालों को आस्थमा से बचने के तरीकों का पता होना चाहिए। कभी-कभी आराम करने से या इन्हेलर की मदद से आस्थमा के अटैक से राहत मिल सकती है। आस्थमा के अटैक से बचने के लिए जितनी जल्‍दी हो सके दवाईयों या इन्‍हेलर का प्रयोग किया जाना चाहिए।

आपको पता होना चाहिए कि आप किसी प्रकार की आकस्मिक परिस्थितियों का सामना कैसे कर सकते है। अस्‍थमा अटैक से बचने के टिप्‍सः

•घबराए नही:घबराने से मांस पेशियों पर तनाव बढ़ता है जिससे की सांस लेने में परेशानी बढ़ सकती है।

•हिम्मत न हारें और मुंह से सांस लेते रहें, फिर मुंह बंद करके नाक से सांस लें। धीरे धीरे सांस अन्दर की तरफ लें और फिर बाहर की तरफ छोड़े।

•सांस अन्दर की तरफ लेने और बाहर की तरफ छोड़ने के बीच में सांस न रोकें ।

•पीक फ्लो मीटर की मदद से अपने अटैक की स्थिति नापें। पीक फ्लो मीटर सस्ते इन्सट्रुमेट हैं जिनसे अटैक की स्थिति का पता चलता है।

•अगर हो सके तो इन्हेलेन्ट का प्रयोग करें और कोशिश करें हर 20 मिनट पर दो बार इन्हेलेन्ट का प्रयोग करने की।

•धुंए व धूल से दूर रहें।

•अपने ट्रीटमेंट के रिस्पांस को परखें। खराब रिस्पांस तब होता है जब आपको खांसी आयें। अच्छा रिस्पांस तब होता है जब आपको सांस लेने में अच्छा लगे और आराम महसूस हो।

•डाक्टर के द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करें अधिक परेशानी होने पर चिकित्‍सक से जल्‍दी से जल्‍दी संपर्क करें।

•डाक्टर के द्वारा दी दवाएं समय पर लें। अगर दवाओं से भी आपकी परेशानी ठीक नहीं हो रही तो याद रखें कि यह मौका खुद की मदद करने का है।

•अगर आपको सांस लेने में परेशानी बढ़ती जा रही है तो तुरंत धूल वाली जगह से दूर हट कर खड़े हो जायें।

No comments:

Post a Comment