Wednesday, May 19, 2010

दक्षिण अफ्रीका में मिला पूर्वजों का प्राचीन कंकाल

 मानव उत्पति के इतिहास में नया मोड़ साबित हो सकने वाली एक खोज में जीवाश्म विज्ञानियों ने दक्षिण अफ्रीका से दो प्राचीन नरकंकाल-जीवाश्म बरामद किए हैं। अब इस खोज के बाद कहा जा रहा है कि लोगों को मानवीय उत्पत्ति के संबंध में पहले की धारणा को बदलना होगा क्योंकि उनकी उत्पति अभी के रिकार्ड के बाद हुई थी। विटवाटर्सरैंड विश्वविघालय के प्रोफेसर ली बर्गर के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने 19 लाख वर्ष पुराने दो नरकंकालों के जीवाश्म बरामद किये जो संभवत: मां-बेटे के हैं। दक्षिण अफ्रीका में एक गुफा में पाए गए ये नरकंकाल दिखने में कपि जैसे हैं। जीवाश्म विज्ञानियों के अनुसार आस्ट्रेलोपिथिकस सेडिवा प्रजाति के इन नरकंकालों के पैर सीधे लंबे हैं और नाक उभरी हुई है। साथ ही इसके हाथ लंबे हैं। ‘द टाइम्स’ ने प्रो.बर्गर के हवाले से खबर दी है, ‘हमें लगता है कि होमो जीनस को परिभाषित करने के लिए आस्ट्रेलोपिथिकस सेडिबा बहुत महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता है।’

बर्गर के हवाले से दी गई इस खबर में बताया गया है, ‘इस जीवाश्म मेें कई विस्मयकारी लक्षण हैं जिससे लगता है यह प्राणी दोनों प्रकार की जीवनशैली में काफी सहज था।’ उन्होंने कहा कि मादा 20 से 30 वर्ष के बीच की होगी और बालक की उम्र आठ या नौ वर्ष होगी। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि दोनों मां और बेटा पानी की खोज में एक गुफा में उतरे होंगे और वहां से 150 फीट गहरी सुरंग में गिरकर जिंदा दफन हो गए होंगे। होंगेबर्गर ने कहा कि इससे संभवत: इस बात के संकेत मिलते हैं कि मानव के इन पूर्वजों में यह क्रियाकलापों में बदलाव का समय था। उन्होंने बताया कि यह वह समय था जब वे पेड़ों की डालों पर झूलना छोड़कर सीधे चलने का प्रयास कर रहे थे। जीवाश्म अवशेषों की खोज नौ साल के मैथ्यून नामक बालक द्वारा की गई जो अपने पिता के साथ दक्षिण अफ्रीका स्थित माल्पा गुफा में जीवाश्म खोज अभियान में अपने पिता के साथ गया था। यह खोज ‘साइंस’ जर्नल के नये अंक में प्रकाशित हुई है।

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