Wednesday, May 19, 2010

अधिक ऊंचाई पर रहने के लिए तिब्बतियों में जीन्स विकसित

वाशिंगटन। लंबे समय से वैज्ञानिक इस बात पर आश्चर्य जताते रहे हैं कि तिब्बत के लोग इतनी ऊंचाई पर कैसे आसानी से रह लेते हैं, जबकि आम लोगों को ऑक्सीजन की कमी के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। लेकिन अब एक अध्ययन में इस रहस्य का उत्तर खोजने का दावा किया गया है। ‘साइंस एक्सप्रेस’ पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार एक अंतरराष्ट्रीय दल ने दावा किया है कि तिब्बतियों ने हजारों साल पहले ऊंचाई पर जीने के लिए खुद को अनुकूल बनाने के लिहाज से 10 विशेष ऑक्सीजन बनाने वाले जीन्स विकसित कर लिये थे। अध्ययन के मुताबिक तिब्बत के निवासी पोलीसीथेमिया से बचाव के लिए आनुवांशिक तौर पर अनुकूल हो गये।

पोलीसीथेमिया एक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर ऑक्सीजन की कमी के चलते अधिक लाल रक्त कणिकाएं बनाता है और फेफड़ों और मस्तिष्क में सूजन आदि समेत अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं, जिससे कि श्वसन प्रणाली को नुकसान हो सकता है। लेकिन तिब्बत के लोग समुद्रस्तर से 14 हजार फुट या इससे अधिक ऊंचाई पर आसानी से रह लेते हैं, और वहां ऑक्सीजन का स्तर कम होने के बावजूद उनके शरीर में लाल रक्त कणिकाओं का अधिक उत्पादन नहीं होता और उन्हें फेफड़े या मस्तिष्क संबंधी जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़ता।

यूनिवर्सिटी ऑफ उटाह स्कूल ऑफ मेडिसिन तथा छिंगहाई यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने उन साक्ष्यों को खोजा है, जो इन 10 जीन्स से जुड़े हो सकते हैं। इनमें से दो विशेष जीन हीमोग्लोबिन से जुड़े हुए हैं। अधिक ऊंचाई पर फेफड़े और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से कभी कभी पर्वतारोहियों तक को खतरा होता है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले लिन बी. जार्डे ने कहा, ‘पहली बार हमें ऐसे जीन्स का पता चला है जो रहने के लिए अनुकूलन में मदद करते हैं।’

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